जब भी कभी ज़मीर, का सौदा हो, कायम रहो दोस्तों, हुसैन के इंकार की, तरह | HAPPY MUHARRAM
मैं ‘नहीं’ शब्द को सुनने के , सक्षम नहीं हूँ। मैं इंकार को स्वीकार नहीं करता। Dhirubhai Ambani